Nojoto: Largest Storytelling Platform

#ग़ज़ल 221 2121 1221 212 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 आ

#ग़ज़ल   221 2121 1221 212
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

आब-ओ-हवा-ए-गुलसिताँ गो पुरबहार है। 
गुल दिल के गर न खिल सके तो ख़ारज़ार है। 

ता-उम्र भागते रहे बाहर सुकूँ को हम 
आख़िर को ये पता लगा घर में क़रार है।

#ग़ज़ल 221 2121 1221 212 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 आब-ओ-हवा-ए-गुलसिताँ गो पुरबहार है। गुल दिल के गर न खिल सके तो ख़ारज़ार है। ता-उम्र भागते रहे बाहर सुकूँ को हम आख़िर को ये पता लगा घर में क़रार है।

350 Views