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जिसकी बुनियाद में ईंटों की जगह साज़िश थी उस इमारत क

जिसकी बुनियाद में ईंटों की जगह साज़िश थी
उस इमारत को एक दिन तो उखड़ना ही था

हम थे किरदार...कहानी में मुहब्बत वाले
वक्त-ए-आखिर तो हमें तुमसे बिछड़ना ही था

--प्रशान्त मिश्रा हमें तुमसे बिछड़ना ही था
जिसकी बुनियाद में ईंटों की जगह साज़िश थी
उस इमारत को एक दिन तो उखड़ना ही था

हम थे किरदार...कहानी में मुहब्बत वाले
वक्त-ए-आखिर तो हमें तुमसे बिछड़ना ही था

--प्रशान्त मिश्रा हमें तुमसे बिछड़ना ही था

हमें तुमसे बिछड़ना ही था