लड़ें बारूद गोलों या लड़ें तलवार तीरों से। नहीं विचलित कभी भी हों,बदन की लाख पीरों से। न दुश्मन वार कर पाये, न आँखें भी दिखा पाये- भरी है भूमि भारत की, यहाँ जाँबाज वीरों से। #मुक्तक #जाँबाज़ #विश्वासी