नाउम्मीदी में भी दिल में अपने हमने उम्मीद का दिया जला रखा है, करते हैं तुझसे कितनी मोहब्बत ये राज़ हमने सीने में दबा रखा है। तू हमें अब याद करे या करता रहे हमारे प्यार को नज़रअंदाज़, तेरी मोहब्बत को हमने अपने दिल में अब सदा के लिए बसा रखा है। ।। नाउम्मीदी का मेला।। बज़्म-ए-ज़िंदगी में उजालों ने अब अंधेरा सजा कर रखा है, उम्मीदों के बाज़ार में नाउम्मीदी का मेला सजा कर रखा है। एक यख़-बस्ता उदासी है दिल-ओ-जान पे, न बाक़ी जोश, जो फूल चुने थे तेरे लिए, तसव्वुर उनका सजा कर रखा है। यख़-बस्ता - frozen