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Insta@dawarharshita कदम वो रिश्ता कदम का सबसे अज़ी

Insta@dawarharshita
कदम
वो रिश्ता कदम का सबसे अज़ीज़ होता हैं,
हम साथी वो हम साया हमारे कदम हो तो होते हैं, एक का उठना दूसरे को अपने साथ उठा कर कदम उठा लेता हैं।
आगे पढ़े ......  Insta@dawarharshita
कदम
वो रिश्ता कदम का सबसे अज़ीज़ होता हैं,
हम साथी वो हम साया हमारे कदम हो तो होते हैं, एक का उठना दूसरे को अपने साथ उठा कर कदम उठा लेता हैं।
कद्र करते वक्त ये कदम उठाए थे,
हर कदम बदले दिल बदले दिन बदले हम बदले ये कदम के साथ कहा बदले
बचपन से जवानी तक औरत को अपने कदम संभालने कहा जाता हैं, पर मां सरस्वती कली दुर्गा शक्ति अदृश्य होती हैं,उनको अपनी पहचान उस खुदा ने लीला रचाई है, तो गलती किस्से हुई बनाने वाले सा रिश्ता निभाने वालो से , समझ से या समाज से , कदम में बंधी बेड़ियों से या बड़बड़ाती आवाज़ जो आती अति वाली गलियां जो आती खुली खिड़कियों से, गुलाम ज़ुबान से या उबाल लहू में, मर्द की मर्दानगी में या औरत की चीख में, 
इतरागी सी कहानी में मुस्कान की आदत बनी, कदम।डगमगाए हैं खुद को रोकने में या मजबूत बनने में, आवा उठाने में या ज़ुबान को दबाने में, कदम रखने में या कदम छुपाने में, शामिल पहले कदम हैं,
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कदम
वो रिश्ता कदम का सबसे अज़ीज़ होता हैं,
हम साथी वो हम साया हमारे कदम हो तो होते हैं, एक का उठना दूसरे को अपने साथ उठा कर कदम उठा लेता हैं।
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कदम
वो रिश्ता कदम का सबसे अज़ीज़ होता हैं,
हम साथी वो हम साया हमारे कदम हो तो होते हैं, एक का उठना दूसरे को अपने साथ उठा कर कदम उठा लेता हैं।
कद्र करते वक्त ये कदम उठाए थे,
हर कदम बदले दिल बदले दिन बदले हम बदले ये कदम के साथ कहा बदले
बचपन से जवानी तक औरत को अपने कदम संभालने कहा जाता हैं, पर मां सरस्वती कली दुर्गा शक्ति अदृश्य होती हैं,उनको अपनी पहचान उस खुदा ने लीला रचाई है, तो गलती किस्से हुई बनाने वाले सा रिश्ता निभाने वालो से , समझ से या समाज से , कदम में बंधी बेड़ियों से या बड़बड़ाती आवाज़ जो आती अति वाली गलियां जो आती खुली खिड़कियों से, गुलाम ज़ुबान से या उबाल लहू में, मर्द की मर्दानगी में या औरत की चीख में, 
इतरागी सी कहानी में मुस्कान की आदत बनी, कदम।डगमगाए हैं खुद को रोकने में या मजबूत बनने में, आवा उठाने में या ज़ुबान को दबाने में, कदम रखने में या कदम छुपाने में, शामिल पहले कदम हैं,

Insta@dawarharshita कदम वो रिश्ता कदम का सबसे अज़ीज़ होता हैं, हम साथी वो हम साया हमारे कदम हो तो होते हैं, एक का उठना दूसरे को अपने साथ उठा कर कदम उठा लेता हैं। कद्र करते वक्त ये कदम उठाए थे, हर कदम बदले दिल बदले दिन बदले हम बदले ये कदम के साथ कहा बदले बचपन से जवानी तक औरत को अपने कदम संभालने कहा जाता हैं, पर मां सरस्वती कली दुर्गा शक्ति अदृश्य होती हैं,उनको अपनी पहचान उस खुदा ने लीला रचाई है, तो गलती किस्से हुई बनाने वाले सा रिश्ता निभाने वालो से , समझ से या समाज से , कदम में बंधी बेड़ियों से या बड़बड़ाती आवाज़ जो आती अति वाली गलियां जो आती खुली खिड़कियों से, गुलाम ज़ुबान से या उबाल लहू में, मर्द की मर्दानगी में या औरत की चीख में, इतरागी सी कहानी में मुस्कान की आदत बनी, कदम।डगमगाए हैं खुद को रोकने में या मजबूत बनने में, आवा उठाने में या ज़ुबान को दबाने में, कदम रखने में या कदम छुपाने में, शामिल पहले कदम हैं, #Reality #RESPECT #yqdidi #yqurdu #equality #mazhab #restzone