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पल्लव की डायरी भूखे पेट की आग में तपकर श्रम का उत्

पल्लव की डायरी
भूखे पेट की आग में तपकर
श्रम का उत्पादन करता है
विकाश के हर कण कण में
उसका ही लहू महकता है
भरी दोपहरी हो,या रात्रि का अंधियारा
उसका श्रम सूरज जैसा चमकता है
देश का असली भाग्य विधाता
शोषण की मार से अभागा अभागा फिरता है
सारी सियासतों की हम दर्दी उनसे
न्यूनतम वेतन नही मिलता है
काम के आठ घण्टे बारह कर दिये
शासन की मक्कारी है
सांसद विधायको के वेतन जारी
मगर श्रमिको के अधिकारों पर 
केंची चल रही है  सरकारी
    प्रवीण जैन पल्लव मजदूर का श्रम

#Onam2020
पल्लव की डायरी
भूखे पेट की आग में तपकर
श्रम का उत्पादन करता है
विकाश के हर कण कण में
उसका ही लहू महकता है
भरी दोपहरी हो,या रात्रि का अंधियारा
उसका श्रम सूरज जैसा चमकता है
देश का असली भाग्य विधाता
शोषण की मार से अभागा अभागा फिरता है
सारी सियासतों की हम दर्दी उनसे
न्यूनतम वेतन नही मिलता है
काम के आठ घण्टे बारह कर दिये
शासन की मक्कारी है
सांसद विधायको के वेतन जारी
मगर श्रमिको के अधिकारों पर 
केंची चल रही है  सरकारी
    प्रवीण जैन पल्लव मजदूर का श्रम

#Onam2020