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मोहब्बत ज़िन्दा हमीं से है दोस्ती का परिंदा

मोहब्बत  ज़िन्दा  हमीं  से है
दोस्ती  का  परिंदा  यकीं से है

ये हुस्न का  गुरूर  ठीक  नहीं,
क्या जन्नत अब  तुम्हीं  से  है?

पतंग और बारिश का किस्सा,
हमारी  असल  ज़िन्दगी  से हैं!

मयकदों  की  ये  सारी  रौनक,
यारो  मुसलसल  शाकी  से  है!

मुहब्बत  जो  आज  है  रंगीं,
सिर्फ वफ़ा की  सादगी  से है!

उसके इन आंसुओ का ताल्लुक
सिर्फ  मिरी   नाराज़गी   से  है!

कविराज अनुराग 

#gazal #urdupoetry
#kavirajanurag #apart
मोहब्बत  ज़िन्दा  हमीं  से है
दोस्ती  का  परिंदा  यकीं से है

ये हुस्न का  गुरूर  ठीक  नहीं,
क्या जन्नत अब  तुम्हीं  से  है?

पतंग और बारिश का किस्सा,
हमारी  असल  ज़िन्दगी  से हैं!

मयकदों  की  ये  सारी  रौनक,
यारो  मुसलसल  शाकी  से  है!

मुहब्बत  जो  आज  है  रंगीं,
सिर्फ वफ़ा की  सादगी  से है!

उसके इन आंसुओ का ताल्लुक
सिर्फ  मिरी   नाराज़गी   से  है!

कविराज अनुराग 

#gazal #urdupoetry
#kavirajanurag #apart