तिरंगा तिरंगा हाथ में ले काफ़िला जब जब गुजरता है। फड़क उठती भुजा मेरी रगों में ज्वार भरता है। कदम को चूमती धरती, तिरंगा झूमता अम्बर, तिरंगा आसमां फहरे, जमी से प्यार करता है। तिरंगा आन भारत की, तिरंगा जान भारत की, तिरंगा में हाथ में लेकर, खुशी से यार मरता है। सदा सम्मान देता है, बड़ा स्वाभिमान देता है तिरंगा देख कर दुश्मन सभी गद्दार डरता है। तिरंगा हाथ में होता, बड़ी हिम्मत प्रियम देता, मिले जो दर्द सरहद पे, यही तत्काल हरता है। ©पंकज प्रियम गिरिडीह, झारखंड tiranga