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त्रिकुटि की भृकुटि तनी और तन कई - हुए कलेवा काल के

त्रिकुटि की भृकुटि तनी और तन कई -
हुए कलेवा काल के,अकाल काल कवलित,
किसका है यह दोष, महाकाल की छत्रच्छाया में,
कौन हुआ वह रुष्ट,रोष जैसे किया प्रदर्शित,
है मंथन की बात,मनन - चिंतन-अध्ययन हो,
नयन ज्ञान का खुले मनुज का, तुम त्रिनयन हो,
हे महादेव!मत कोप दिखाओ,
कम थे क्या दो-तीन वर्ष के कोप वे ?
रोप दिया आरोप सहज जीवन न,
भुले न कांड-'रोप वे'।

©BANDHETIYA OFFICIAL त्रिकुटी की भृकुटी तनी !

#Pinnacle
त्रिकुटि की भृकुटि तनी और तन कई -
हुए कलेवा काल के,अकाल काल कवलित,
किसका है यह दोष, महाकाल की छत्रच्छाया में,
कौन हुआ वह रुष्ट,रोष जैसे किया प्रदर्शित,
है मंथन की बात,मनन - चिंतन-अध्ययन हो,
नयन ज्ञान का खुले मनुज का, तुम त्रिनयन हो,
हे महादेव!मत कोप दिखाओ,
कम थे क्या दो-तीन वर्ष के कोप वे ?
रोप दिया आरोप सहज जीवन न,
भुले न कांड-'रोप वे'।

©BANDHETIYA OFFICIAL त्रिकुटी की भृकुटी तनी !

#Pinnacle