दरख़्त Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat दरख़्त से लिपट कर ख़ूब रोती थी दरख़्त वहीं था जिससे करीब समझ कर आंसू भिगोती थी वीरान रास्तों पर खड़ा अकेला चुप रहता पंछियों का बसेरा सा लहराता वहीं होती थी साल सदियों पुरानी बात भी दिल खोलकर उससे करती थी मिजाज़ था उसका लचकीला ठहनी से लटकती थी मज़ाक नहीं उड़ता था बस इसलिए वहीं दरख़्त को दिल खोल कर कहती थी वो दरख़्त *दरख़्त - पेड़ #darakht #collab #yqbhaijan #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Bhaijan दरख़्त Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat