ये सुबह ! हर रोज की तरह रोज होगी! या मेरे किस्मत की लकीरों को तरह ओज होगी।। बदल के रख दे ये मेरे हर दर्द की कहानी। बस इतनी सी तो मेरी खोज होगी।। मैं मिनंत कर रहा हूं ! ज़िन्दा रह कर भी थोड़ा थोड़ा रोज मर रहा हूं।। उम्मीद है शायद कुछ बदलेगी ये सुबह, मेरे पलको की नमी को बस इतनी सी है आरजू तुमसे ए मेरी सुबह........।। हर रोज की तरह रोज होगी या किस्मत की लकीरों को तरह ओज होगी ...... ©Ahsas Alfazo ke सुबह #SunSet Aditya Divya Amiya Amita Tiwari