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साँझ सवेरे रहते फिरते ढूंढ़ते तुझको मेरे ये नैन त

साँझ सवेरे रहते फिरते ढूंढ़ते तुझको मेरे 

ये नैन ताकते रहते तुझको बस ईधर उधर 
बंद पलकों में भी ख़ोजते सोचते भीतर यूहीं 

जाना जब से तू ही तू बस बाकि सब बेकार 
धड़क रहा मन बेचैन नैना हुये बेकरार 

ढूंढ़ता जागा सोया रहता खोया सा फिरता 
सुबह भी मेरी शुरू रात भी ख़त्म तुमसे 

 नैना बोलते मन भी कहता अब दुनिया तुझसे 
यादों में तुम चाहत में भी अब तू ही बता

अब क्या करूँ मैं बना बावंरा दीवाना तेरा
भटक रहा तू ही बता दर्श दिखा दर्श करा

©Mahadev Son wondering and wondering दिन  और रात 

#rain
साँझ सवेरे रहते फिरते ढूंढ़ते तुझको मेरे 

ये नैन ताकते रहते तुझको बस ईधर उधर 
बंद पलकों में भी ख़ोजते सोचते भीतर यूहीं 

जाना जब से तू ही तू बस बाकि सब बेकार 
धड़क रहा मन बेचैन नैना हुये बेकरार 

ढूंढ़ता जागा सोया रहता खोया सा फिरता 
सुबह भी मेरी शुरू रात भी ख़त्म तुमसे 

 नैना बोलते मन भी कहता अब दुनिया तुझसे 
यादों में तुम चाहत में भी अब तू ही बता

अब क्या करूँ मैं बना बावंरा दीवाना तेरा
भटक रहा तू ही बता दर्श दिखा दर्श करा

©Mahadev Son wondering and wondering दिन  और रात 

#rain
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Mahadev Son

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