मेरी आवाज निरूत्तर हो आकाश मे विलीन होती गयी अश्रु से भीगा दामन मेरी व्यथा को उजागर करता तो हर षड़यन्त्र कारी की मुस्कान मे चार चाँद लग जाते जिसके बस मे जितना होता अट्टाहस करता मेरे ही उगाये पौधौ के फलो से अपनी भूख मिटाता हुआ मुझे ही काटने का भरकस प्रयास करता विचलित मन की धारा मे सबकी आँखो मे खुद को गुनाहगार पाती आत्मा की वार्ता मुझे दोष रहित बताती वक्त के आगे नतमस्तक हो जल्दी गुजरने की विनती करती अचानक मेरे कंधे का स्पर्श मुझे पुलकित कर गया मेरी आवाज निरूत्तर नही थी उसने परमात्मा तक पहुँचने का रास्ता बना लिया था नीलम ©NEELAM ARORA #kavita #swarchit #Darknight