उसके दिल में मेरा नाम,देर तक नहीं रहता हर जगह पे मेरा काम,देर तक नहीं रहता।।१।। आंखों में जो आंसू हैं,तुम उसे बहा देना इश्क़ में कोई भी जाम,देर तक नहीं रहता।।२।। तोडा़ है जो दिल तूने,आके इसे जोड़ जरा टूटे हुए दिल का दाम,देर तक नहीं रहता।।३।। क्या हुआ जो तुम मेरा,क़त्ल ही जो कर ही गये बेवफा के सर इल्जा़म,देर तक नहीं रहता।।४।। भूल जा तू उसको 'रवि',जिसको तेरी चाहत नहीं हर किसी के दिल में राम,देर तक नहीं रहता।।५।। #रवि_जैन तज़वार सुल्ताना साहिबा की जमी़न'देर तक नहीं रहता' पर कहीं गई मेरे जानिब से ग़ज़ल आप सबकी खिदमत में पेश है,समाअत फरमाइए। शुक्रिया