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अभी इतने मामूली भी नहीं हुए हैं हम कि तुम ज़ख़्म द

अभी इतने मामूली भी नहीं हुए हैं हम
कि तुम ज़ख़्म देती रहो और हम मरहम ना ढूढ़ पाये
-Raghav Raghuvanshi MAMULI
अभी इतने मामूली भी नहीं हुए हैं हम
कि तुम ज़ख़्म देती रहो और हम मरहम ना ढूढ़ पाये
-Raghav Raghuvanshi MAMULI