ये बिन लिखी गहराईयों के एहसास से मन के जो साथ उठाए जीते चले जाएं, चाहतों का क्या है न भी हों तो उन्हें ज्यादा नहीं बस जितना मिले उसमें खुशी रहे । किताब चाहे मन में बनी रहे एहसास तो सच्चे और पक्के हैं। साथ कोई रहे या न रहे आदत को स्वीकार करके सम सी ये जिंदगी हो । चाहे हो ग़म या खुशी भाव का बहाव हमेशा कम या तेज़ हो । न रुके ये सिलसिला लिखने और कहने का, इंकार हो या हामी हो । बोझिल नहीं है किसी पर ये जिंदगी, अपने से ज़्यादा ही किसी के लिए उपकार हो । ख़ुद करना है उतना जितना पर्याप्त है जीवन में मगर साथ में इंसानियत जिंदा रहे इसलिए सामाजिकता में करुणा प्रेम और जिंदादिली न कम हो । #आदतबनालिया #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi