जय परमेश्वर बलराजाकेःबादसे!ईन!बनीयोंनेभी राक्षसीपापका स्वर्ग बनायाहे सो.रावण.कीतरहसे कीसी. टापुकेउपर स्वर्ग बनायाहे वहांपर?दुनीयांके-नांमका पाप करातेरहतेहें-जीसके हालसे.में.तुम राजा बादशाहोंके वाकीफ होनेकेवास्ते लीखाकरताहूं किजीसःतरहसे अगलेजमांनेके राजा बादशाहने-ईन?सोदागरांनके जालको दफेकरनेके लीये गीरफतार कीयाथा ओर उनसे पापकाकरना छोडादीयाथा;उसीतरहसे अबतुम राजा बादशाह ईन!सोदागरांनके!राक्षसीपापको पकङकर ओर सजा ऄंदेकर?ईन?बनीयोंके पापको छोडाओ अगरचे ईनके पापको छोडानेमे-तुम: राजा बादशाहोंने गफलतकी तोयह बनीये अपने राक्षसीपापसे सातों आठों वलायतोंके लोगोंको गारतकरदेंगे..... ( ६३ ) अज तसनीफ साध अनुपदास लीखी- कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) तमांम पढ़कर बंन्दोबस्त करो छावणी ऐरनपुरामें, शिवगंज - ३०७०२७ (राज.) ता १७ अप्रेल संन १९०९ झा बैसाष बुदी १२ सं॥ १९६५ M. No. :- 8905653801 www.jagathitkarnioriginal.org ©JAGAT HITKARNI ( 274 ) #Love #library #Lagata #Quote #quotation #motivate Kartik Aaryan sad poetry Kalki poetry in hindi hindi poetry on life