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अजीब तल्ख़ी आज के मुआशिरे मे हैं क़ातिल आज़ाद, बेग

अजीब तल्ख़ी आज के मुआशिरे मे हैं
क़ातिल आज़ाद, बेगुनाह कटघरे में है 

मैं तन्ज़ भी करूँगा तहज़ीब के साथ
मेरी शायरी इक अदब के दायरे मे है 

~अब्दुल हादी अजीब तल्ख़ी आज के मुआशिरे मे हैं
क़ातिल आज़ाद, बेगुनाह कटघरे में है 

मैं तन्ज़ भी करूँगा तहज़ीब के साथ
मेरी शायरी इक अदब के दायरे मे है 

~अब्दुल हादी
अजीब तल्ख़ी आज के मुआशिरे मे हैं
क़ातिल आज़ाद, बेगुनाह कटघरे में है 

मैं तन्ज़ भी करूँगा तहज़ीब के साथ
मेरी शायरी इक अदब के दायरे मे है 

~अब्दुल हादी अजीब तल्ख़ी आज के मुआशिरे मे हैं
क़ातिल आज़ाद, बेगुनाह कटघरे में है 

मैं तन्ज़ भी करूँगा तहज़ीब के साथ
मेरी शायरी इक अदब के दायरे मे है 

~अब्दुल हादी
abdulhadi7890

SM HADI

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