Nojoto: Largest Storytelling Platform

देह धरे का दंड है सब काहू को होय । ज्ञानी भुगते ज्

देह धरे का दंड है सब काहू को होय ।
ज्ञानी भुगते ज्ञान से अज्ञानी भुगते रोय।

देह धारण करने का दंड–भोग या प्रारब्ध निश्चित है जो सब को भुगतना होता है,अंतर इतना ही है कि ज्ञानी या समझदार व्यक्ति इस भोग को या दुःख को समझदारी से भोगता है-निभाता है-संतुष्ट रहता है जबकि अज्ञानी रोते हुए–दुखी मन से सब कुछ झेलता है !

🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' प्रारब्ध
देह धरे का दंड है सब काहू को होय ।
ज्ञानी भुगते ज्ञान से अज्ञानी भुगते रोय।

देह धारण करने का दंड–भोग या प्रारब्ध निश्चित है जो सब को भुगतना होता है,अंतर इतना ही है कि ज्ञानी या समझदार व्यक्ति इस भोग को या दुःख को समझदारी से भोगता है-निभाता है-संतुष्ट रहता है जबकि अज्ञानी रोते हुए–दुखी मन से सब कुछ झेलता है !

🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' प्रारब्ध