Nojoto: Largest Storytelling Platform

मुल्क में फिरका परस्ती को हवा दी तुमने यानि अंग्र

मुल्क में फिरका परस्ती को हवा दी तुमने 
यानि अंग्रेज की फिर याद दिला दी तुमने

चादर असमत की कभी सर पे जला दी तुमने 
कभी मजलूम की गर्दन भी उड़ा दी तुमने 

रूह जब छोड गई तन तो सदा दी तुमने 
ए मसीहाओ बहुत देर लगा दी तुमने

तुमने हमदर्दी व इख्लाक की कब्रे खोदी 
अपने ही मुल्क की तहजीब गवां दी तुमने

जिस कहानी से तफरीक की बू आती है 
क्या कयामत है कि वो बच्चों को सुना दी तुमने

हम अगर शमा मुहब्बत भी जलाये तो जलन हो तुमको 
सारे गुलशन में तो ऐ रमजानी आग लगा दी तुमने
17/6/15

©MSA RAMZANI Ghazal
मुल्क में फिरका परस्ती को हवा दी तुमने 
यानि अंग्रेज की फिर याद दिला दी तुमने

चादर असमत की कभी सर पे जला दी तुमने 
कभी मजलूम की गर्दन भी उड़ा दी तुमने 

रूह जब छोड गई तन तो सदा दी तुमने 
ए मसीहाओ बहुत देर लगा दी तुमने

तुमने हमदर्दी व इख्लाक की कब्रे खोदी 
अपने ही मुल्क की तहजीब गवां दी तुमने

जिस कहानी से तफरीक की बू आती है 
क्या कयामत है कि वो बच्चों को सुना दी तुमने

हम अगर शमा मुहब्बत भी जलाये तो जलन हो तुमको 
सारे गुलशन में तो ऐ रमजानी आग लगा दी तुमने
17/6/15

©MSA RAMZANI Ghazal
mohdsamshadali7461

MSA RAMZANI

Gold Subscribed
New Creator