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नाराज़ अभी सुबह है तेरी नाराजगी की दोपहर तो होने

नाराज़ अभी सुबह है  तेरी नाराजगी की 

दोपहर तो होने दे

ये भीनी भीनी धूप जब सूख जायेगी

सुर्ख धूप चावल ही क्या 
kumar's
तेरी चाहत को भी पका के 

तस्तरी मे रखवा देगी|

फिर ये नाराजगी तेरी लंच पे जाने से 

तुझे रोक नही पायेगी|| #नाराज़
नाराज़ अभी सुबह है  तेरी नाराजगी की 

दोपहर तो होने दे

ये भीनी भीनी धूप जब सूख जायेगी

सुर्ख धूप चावल ही क्या 
kumar's
तेरी चाहत को भी पका के 

तस्तरी मे रखवा देगी|

फिर ये नाराजगी तेरी लंच पे जाने से 

तुझे रोक नही पायेगी|| #नाराज़