शब-ए-इंतज़ार, दिल-ए-बेक़रार, बस इंतज़ार... ज़रा इंतज़ार... तू कहां है ऐ मेरे हमनवा.. नज़र आ मुझे...कभी एक बार.. फिर एक बार.. न धुआं उठा, न तपिश कोई, तो मैं कैसी आग में जल गया.. तुझे है ख़बर, तो बता मुझे, मेरे चारागर, मिरे ग़म ग़ुसार.. कहीं ये न हो,कि तू वो न हो, जिसे दिल समझता है हमनशीं.. ये गुमां रहे,ये यक़ीं न हो, कहीं टूट जाए न ऐतबार.. तो सजा के पलकों पे ख़्वाब हम, कहां जाएं तेरी फ़िराक़ में... मेरी क्या ख़ता,मेरा क्या क़ुसूर, मेरे दिल की सुन ले कभी पुकार... ✍ Aliem #yqaliem #intezaar #hamnava #hamnashiin #yqurduhindipoetry #yqurdu #dil_e_beqarar