Nojoto: Largest Storytelling Platform

एक तारीख़. मुक़र्रर पे तु हर माह मिले ज

एक  तारीख़.  मुक़र्रर   पे  तु   हर   माह  मिले 
जैसे दफ़्तर में किसी शख़्स को तनख़्वाह मिले 

रंग उखड़ जाए तो  ज़ाहिर हो प्लस्तर की नमी 
क़हक़हा  खोद  के देखो  तो  तुम्हें  आह मिले 

जम्अ'  थे  रात  मिरे  घर  तिरे  ठुकराए  हुए 
एक  दरगाह.  पे    सब  रांदा-ए-दरगाह मिले 

मैं तो इक आम सिपाही था हिफ़ाज़त के लिए 
शाह-ज़ादी  ये  तिरा  हक़ था  तुझे शाह मिले 

एक उदासी  के जज़ीरे  पे हूँ  अश्कों में घिरा 
मैं निकल जाऊँ अगर ख़ुश्क  गुज़रगाह मिले 

इक मुलाक़ात के  टलने की ख़बर ऐसे लगी 
जैसे मज़दूर  को हड़ताल की अफ़्वाह मिले

©j^khan #Love 
#Imagination 
#Life 
#story 
#kiii
एक  तारीख़.  मुक़र्रर   पे  तु   हर   माह  मिले 
जैसे दफ़्तर में किसी शख़्स को तनख़्वाह मिले 

रंग उखड़ जाए तो  ज़ाहिर हो प्लस्तर की नमी 
क़हक़हा  खोद  के देखो  तो  तुम्हें  आह मिले 

जम्अ'  थे  रात  मिरे  घर  तिरे  ठुकराए  हुए 
एक  दरगाह.  पे    सब  रांदा-ए-दरगाह मिले 

मैं तो इक आम सिपाही था हिफ़ाज़त के लिए 
शाह-ज़ादी  ये  तिरा  हक़ था  तुझे शाह मिले 

एक उदासी  के जज़ीरे  पे हूँ  अश्कों में घिरा 
मैं निकल जाऊँ अगर ख़ुश्क  गुज़रगाह मिले 

इक मुलाक़ात के  टलने की ख़बर ऐसे लगी 
जैसे मज़दूर  को हड़ताल की अफ़्वाह मिले

©j^khan #Love 
#Imagination 
#Life 
#story 
#kiii
myhukaun5143

j^khan

New Creator