जब कभी मुझे एक बड़ी बहन की जरूरत पड़ीं वो हमेशा मुझे मेरे साथ खड़ी मिली। जब लगा कोई हों जो मुझे सम्भाल ले उसने थामा मेरा हाथ बस कहा सही का साथ दें । वो हर महफ़िल की जान बन जाती जैसे बनारसी चाय वो। उसका रंग हर जुबान पर चढ़ जाता जैसे बनारसी पान वो। उसकी हंसी इतनी मनमोहक जैसे वसंत का मौसम और फुलों से लदी डाल हों। चेहरे पर उसके इतना तेज जैसे पुर्णिमा की रात और रौशनी बिखेरता चांद हों। वो कभी डांट कर समझाती तों कभी प्यार से पुचकारती हैं। कभी सायरा बन दिल को छू जाती तो कभी सुरों के बाण चलातीं हैं । अक्सर देखा उसको सादगी में शायद सादगी से करती प्यार वो । खुलें बाल और कातिलाना अंदाज इन्हीं से करतीं वार वो। उसमें बहुत नादानियां भरी और हैं बहुत दिलदार वो । दिमाग उसका बहुत तेज पर करतीं खुराफात वो। सुभ्रा है नाम उसका और उसके साथ मेरा रिश्ता बड़ा ख़ास हैं। इस मतलब वाली दुनिया में मुझे बड़ी अपनी सी लगती वो। क्या लिखूं मैं उसके लिए मेरे दिल के एक खास कोने में बसती जो। ©Ritu Rai Dear Shubhra #SunSet