Nojoto: Largest Storytelling Platform

प्रशंसा चाहे कितनी भी करो किन्तु अपमान बहुत ही सोच

प्रशंसा चाहे कितनी भी करो किन्तु
अपमान बहुत ही सोच समझ कर
करना चाहिए, क्योंकि अपमान
 वो ऋण है जो हर कोई अवसर 
आने पर ब्याज सहित चुकाता
 अवश्य है।
सच्ची बातें साँची बातें
प्रशंसा चाहे कितनी भी करो किन्तु
अपमान बहुत ही सोच समझ कर
करना चाहिए, क्योंकि अपमान
 वो ऋण है जो हर कोई अवसर 
आने पर ब्याज सहित चुकाता
 अवश्य है।
सच्ची बातें साँची बातें

साँची बातें