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सूखी रोटी भी बांटकर खाई जिसने वो भिखारी तो शहनशाह

सूखी रोटी भी बांटकर खाई जिसने
वो भिखारी तो शहनशाह से बढ़कर निकला।

मेरे होठो से दुआ उसकी जुवां से गाली निकली
जिसमे जो छुपा था वहीं बाहर निकला।

जिंदगी भर जिसे देखकर इतराते रहे
सारा वो अभिमान तो मिट्टी की धरोहर निकला। घमड जिंदगी का बेमानी है बस सोच ऊंची बनानी है

#nojotohindi
सूखी रोटी भी बांटकर खाई जिसने
वो भिखारी तो शहनशाह से बढ़कर निकला।

मेरे होठो से दुआ उसकी जुवां से गाली निकली
जिसमे जो छुपा था वहीं बाहर निकला।

जिंदगी भर जिसे देखकर इतराते रहे
सारा वो अभिमान तो मिट्टी की धरोहर निकला। घमड जिंदगी का बेमानी है बस सोच ऊंची बनानी है

#nojotohindi

घमड जिंदगी का बेमानी है बस सोच ऊंची बनानी है #nojotohindi