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पत्र को पढ़ते ही मालती के आंखों में आंसू आ गई... व

 पत्र को पढ़ते ही मालती के आंखों में आंसू आ गई...
वह एकदम शून्य सी खड़ी, पत्र में लिखे शब्दों को बार-बार पढ़ रही थी। कि कहीं उसने गलत तो नहीं पढ़ लिया,
पर पत्र में लिखे हुए शब्द मालती के बह रहें आसुंओ का कारण बन चुका था।
पत्र के साथ आयें सेमर का फूल (बाहर से सुन्दर,अन्दर से निराशा ) मानो मालती को पुर्ण स्त्री ना होने का संकेत दे रहा था।
 8 साल हो चुके थे मालती की शादी को, ससुराल में उसके पांव चांदी के थाली में रखे गए थे। पर आज तक संतान सुख से वंचित है.... मालती का आज, दूसरा सावन होने को जा रहा था मायके में। 
वह 2 साल से मायके में है पर आज पत्र में लिखे शब्द उसके वृक्ष  के सारे पत्तों को नोच डाला, मानो सावन नें पतझड़ को दावत दे दी। पत्र में लिखा वह शब्द जो उसके जिन्दगीं रूपी सावन में पतझड़ लेकर आया वह शब्द था "तलाक"
                
                                            अल्ताफ हुसैन
 पत्र को पढ़ते ही मालती के आंखों में आंसू आ गई...
वह एकदम शून्य सी खड़ी, पत्र में लिखे शब्दों को बार-बार पढ़ रही थी। कि कहीं उसने गलत तो नहीं पढ़ लिया,
पर पत्र में लिखे हुए शब्द मालती के बह रहें आसुंओ का कारण बन चुका था।
पत्र के साथ आयें सेमर का फूल (बाहर से सुन्दर,अन्दर से निराशा ) मानो मालती को पुर्ण स्त्री ना होने का संकेत दे रहा था।
 8 साल हो चुके थे मालती की शादी को, ससुराल में उसके पांव चांदी के थाली में रखे गए थे। पर आज तक संतान सुख से वंचित है.... मालती का आज, दूसरा सावन होने को जा रहा था मायके में। 
वह 2 साल से मायके में है पर आज पत्र में लिखे शब्द उसके वृक्ष  के सारे पत्तों को नोच डाला, मानो सावन नें पतझड़ को दावत दे दी। पत्र में लिखा वह शब्द जो उसके जिन्दगीं रूपी सावन में पतझड़ लेकर आया वह शब्द था "तलाक"
                
                                            अल्ताफ हुसैन
altafhusain4193

Altaf Husain

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पत्र को पढ़ते ही मालती के आंखों में आंसू आ गई... वह एकदम शून्य सी खड़ी, पत्र में लिखे शब्दों को बार-बार पढ़ रही थी। कि कहीं उसने गलत तो नहीं पढ़ लिया, पर पत्र में लिखे हुए शब्द मालती के बह रहें आसुंओ का कारण बन चुका था। पत्र के साथ आयें सेमर का फूल (बाहर से सुन्दर,अन्दर से निराशा ) मानो मालती को पुर्ण स्त्री ना होने का संकेत दे रहा था। 8 साल हो चुके थे मालती की शादी को, ससुराल में उसके पांव चांदी के थाली में रखे गए थे। पर आज तक संतान सुख से वंचित है.... मालती का आज, दूसरा सावन होने को जा रहा था मायके में। वह 2 साल से मायके में है पर आज पत्र में लिखे शब्द उसके वृक्ष के सारे पत्तों को नोच डाला, मानो सावन नें पतझड़ को दावत दे दी। पत्र में लिखा वह शब्द जो उसके जिन्दगीं रूपी सावन में पतझड़ लेकर आया वह शब्द था "तलाक" अल्ताफ हुसैन #Poetry #story #कहानी #kahani #कहानिया #nojotokahaniya