तू संगमरमर सी गोरी है, मैं कोयला सा काला हूँ। तू है फूल गुलाब की, मैं उसका एक काँटा हूँ।। तू रहती है महलों में, मैं कमा कर खाता हूँ। तू चलती है एसी में, मैं पैदल ही जाता हूँ।। तू संगमरमर सी गोरी है, मैं कोयला सा काला हूँ... तू पापा की परी कहलाती, मैं बस चांटा खाता हूं। तू भोली सी सूरत वाली, मैं सख्त मिजाज कहलाता हूँ।। बनूँगा राजकुमार मैं भी एक दिन, बस मेरी रानी तू बन जाना। होगा अपना भी एक महल जिसे मैं घर बतलाता हूँ।। तू संगमरमर सी गोरी है, मैं कोयला सा काला हूँ... ©Himanshu Raj #पापा_की_परी Krishan Kumar priti gupta Anurag Raj