मै शंकर वह क्रोधा नल कर सकता जगती छार छार डमरू की वह प्रलय ध्वनि हूं ! जिसमें नचता भीषण संहार रण चंडी की आत्रप्त प्यास में दुर्गा का उंतप्त हास! मैं यम की प्रलक पुकार जलते मरघट धुआंधार फिर अंतर तम की ज्वाला से जगती में आग़ लगा दू मैं! यदि धधक उठे जल,थल, अम्बर जड़ चेतन तो कैसा विश्मय हिन्दू तन मन हिन्दू जीवन रग रग हिन्दू मेरा परिचय 🙏🚩जय श्री राम 🇮🇳 #हिंदूवादी