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ज़रूरी नही सब इत्तेफ़ाक रक्खे सोच अपनी है अपने पास

ज़रूरी नही सब इत्तेफ़ाक रक्खे
सोच अपनी है अपने पास रक्खे। 

साथ न दे सके कोई अगर तो
फिर जज़्ब अपने जज़्बात रक्खे। 

बे उम्मीदी से ताल्लुकात हो जाये
फिर पास अपने अपना इंतज़ार रक्खे। 

खुद-ब-खुद जवाब मिलेंगे सवालों के
बस अपने शख्सियत की मालूमात रक्खे। 

मसरूफ हैं सब अपने जहां में 'रचना'
मेरा रब सबकी दुनिया आबाद रक्खे।

©RT #गज़ल #इत्तेफ़ाक #सोच 
#Book
ज़रूरी नही सब इत्तेफ़ाक रक्खे
सोच अपनी है अपने पास रक्खे। 

साथ न दे सके कोई अगर तो
फिर जज़्ब अपने जज़्बात रक्खे। 

बे उम्मीदी से ताल्लुकात हो जाये
फिर पास अपने अपना इंतज़ार रक्खे। 

खुद-ब-खुद जवाब मिलेंगे सवालों के
बस अपने शख्सियत की मालूमात रक्खे। 

मसरूफ हैं सब अपने जहां में 'रचना'
मेरा रब सबकी दुनिया आबाद रक्खे।

©RT #गज़ल #इत्तेफ़ाक #सोच 
#Book