नहीं कहना किसीसे किसी बात को बन्द होठों में समा लेना अपने जज़्बात को अपनी उम्मीद चाहत सपने आँसू दर्द किसी को दिखने ना देना मैं समझ गया पिताजी की सीख उस रात को लड़ना अकेले खुशी मिलकर बांटना छोटी सी हार पे भी खुद को अकेले में ज़रूर डांटना सहारा ढूंढना नहीं किसी का बन जाना कहीं गलत हो तो वहीं तन जाना खुद पे खर्च थोड़ा कम करना मत सुनना ज़माने की बात को मैं समझ गया पिताजी की सीख उस रात को दुनिया प्यार तुमसे नहीं तुम्हारी जीत से करेगी सिर्फ तुमसे ही नहीं तुम्हारी हर चीज़ से करेगी हारना विकल्प है ही नहीं तुम्हें सिर्फ आगे बढ़ना है जो काम भले कोई नही कर पाए वो तुम्हें करना है खोजते मत रह जाना राह में किसी हमसफर के हाथ को मैं समझ गया पिताजी की सीख उस रात को ©Dr Ziddi Sharma #ziddisharma #mohitsharma #MohitSharmaVidrohi