वो भयावह स्वप्न अब नहीं आते तुम्हारे सदृश्य रात पर्दा कर जाती है फ़टे आँखों से होअदृश्य स्वप्न का क्या,प्रकृति की निर्दयता से है कुपित अब तो तुम्हारे स्वप्न मेरे हृदय कचोट है उचित जाओ,छूट गई मैं करके अगवाई तुम्हारी सघन देखती हूँ तुम्हें स्वप्न में घिघ्याते ठहाकों में मग्न #तेरा_इंतेज़ार #रतजगे #नींद_तुम्हारी_यादों_के_साथ #yqdidi #yqbaba #madhuksang #twoliner #YourQuoteAndMine Collaborating with Madhu Jhunjhunwala