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अल्फाज़ हैं मगर, कोई पढ़ता ही नहीँ। ज़ज्बात हैं मगर,

अल्फाज़ हैं मगर, कोई पढ़ता ही नहीँ।
ज़ज्बात हैं मगर,
कोई सुनता ही नहीँ।
एक अनोखे पड़ाव से गुज़र रही है जिंदगी,
कि कहती मैं भी कुछ नहीं,
और कहता वो भी नहीं। #sneh
अल्फाज़ हैं मगर, कोई पढ़ता ही नहीँ।
ज़ज्बात हैं मगर,
कोई सुनता ही नहीँ।
एक अनोखे पड़ाव से गुज़र रही है जिंदगी,
कि कहती मैं भी कुछ नहीं,
और कहता वो भी नहीं। #sneh