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ये शामों की उदासी जाती क्यों नहीं। इंतेजार की घड़ी

ये शामों की उदासी जाती क्यों नहीं।
इंतेजार की घड़ी पुरी होती क्यों नहीं।
क्यों आस लगी रहती है दिल में
तन्हाई शामों की मिटती क्यों नहीं। 
क्यों खलती हैं उसकी गैर-मौजूदगी
वो शख्स जा चुका है,ये दिल समझता क्यों नहीं।

©Konika
  #इंतेजार_ए_मोहब्बत #इंतेजार_ए_इश्क़