उन्होंने भड़काया, हम भड़क गए । कर्म अपने छोड़, हम रास्ते पर अड़ गए ।। नहीं आता समझ लाभ अपना, क्या करे ? समझना चाहते है, वो समझने नहीं दे रहे !! रास्ते पर सो रहे, पानी से ठंड में भीग रहे अकेले, कहते है वो साथ खड़े आगे हमे करके !! ~ किसान अंतर्मन उन्होंने भड़काया, हम भड़क गए । कर्म अपने छोड़, हम रास्ते पर अड़ गए ।। नहीं आता समझ लाभ अपना, क्या करे ? समझना चाहते है, वो समझने नहीं दे रहे !! रास्ते पर सो रहे, पानी से ठंड में भीग रहे अकेले, कहते है वो साथ खड़े आगे हमे करके !!