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दम तोड़ देता है संयम जब खुद की औलाद खुद के आंसुओं क

दम तोड़ देता है संयम
जब खुद की औलाद
खुद के आंसुओं की वज़ह बन जाए
परवरिश में कुर्बान किये
एक एक क्षण लाश बन जाते है
अपनी सारी खुशी, सारे सपने
सारे अरमान जो परवरिश की अग्नि में
स्वाहा कर दिए मैंने
सोचा तपकर कुंदन सा चमकेगा
पर राख तक नसीब नहीं हुई
दिल नहीं आत्मा तक छलनी हो जाता हैं
जब खुद का खून, खून के आँसू रुलाता हैं
जानती हूँ बार-बार जख्म मिलेंगे
बार बार लहूलुहान  हो जाऊँगी
पर जब तक खून का एक कतरा भी हैं
अपने सारे फर्जी निभाऊँगी। 😭

©Renuka Priyadarshini
  #परवरिश