जिंदगी आपकी खतरे में है,आपको घर के अंदर रहना है इसलिए पुलिस अपनी जान जोखिम में डालकर सड़कों पर खड़ी है,और आप झुंड बनाकर सड़कों पर घूमने निकल रहे हैं,जब पुलिस रोकती है तो आप बहस करते है धिक्कार है,आपकी ऐसी शिक्षा पर ऐसी संस्कृति पर की आपको घर के अंदर रखने के लिए पुलिस को रोड पर खड़ा होना पड़े,और जब आपको समझाया जाए तो पुलिस से ही उलझ रहे हो,जला दो अपनी डिग्रियां, छोड़ दो अपनी सभ्य समाज की दुहाई देना,तुम से अच्छे बो अनपढ़ गरीब लोग है जिनहोंने एक बार सुना की कोई बीमारी फैली है और उसकी सिर्फ एक ही दवा है कि हमें घर से नहीं निकालना और बो घर से निकल भी नहीं रहे,पर पढ़े लिखे लोग कहते हैं हम बोर हो गए इसलिए ग्रुप में टहलने,निकले हैं,मुझे तो शर्म आती है ऐसे लोगो पर उनकी सोच पर, हे भगवान इन मूर्खो को सद्बुद्धि दे। सभ्य समाज की असभ्य सोच,