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हर रोज़... हर रोज़ नया बनता हूं मैं , हर

हर रोज़...

    हर रोज़ नया बनता हूं मैं ,
    हर रोज़ थोड़ा बिगड़ कर । 
     हर रोज़ ही संभल जाता हूं ,
    हर रोज़ थोड़ा बिखर कर । 
     हर रोज़ गलत हो जाता हूं , 
   हर रोज़ सही मैं होकर ।  
    हर रोज़ नया बनता हूं मैं , 
   हर रोज़ थोड़ा बिगड़ कर । 
    हर रोज़ अकेला होता हूं ,  
   हर रोज़ सभी से घिरकर ।
     हर रोज़ नया डर मुझमें है , 
     हर रोज़ डरों से उभर कर । 
    हर रोज़ नया बनता हूं मैं , 
   हर रोज़ थोड़ा बिगड़ कर ।
-@परमार_साहब

©ParmarsahaB हर रोज़...@परमार_साहब

#lost
हर रोज़...

    हर रोज़ नया बनता हूं मैं ,
    हर रोज़ थोड़ा बिगड़ कर । 
     हर रोज़ ही संभल जाता हूं ,
    हर रोज़ थोड़ा बिखर कर । 
     हर रोज़ गलत हो जाता हूं , 
   हर रोज़ सही मैं होकर ।  
    हर रोज़ नया बनता हूं मैं , 
   हर रोज़ थोड़ा बिगड़ कर । 
    हर रोज़ अकेला होता हूं ,  
   हर रोज़ सभी से घिरकर ।
     हर रोज़ नया डर मुझमें है , 
     हर रोज़ डरों से उभर कर । 
    हर रोज़ नया बनता हूं मैं , 
   हर रोज़ थोड़ा बिगड़ कर ।
-@परमार_साहब

©ParmarsahaB हर रोज़...@परमार_साहब

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parmarsahab9850

ParmarsahaB

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