मैं थक हार के बैठ जाता हुं रिश्तों की उलझन को सुलझाते सुलझाते बिना वजह मैं मुश्किल बन जाता हुं अपनों को समझाते समझाते बातों में कडवाहट रखुं तो बुरा वन जाता हुं थोड़ी सी मिठास रखुं तो शक का घेरा वन जाता हुं मैं क्या उलझन को सुलझाऊ खुद उलझन में फंस जाता हुं My Dairy