बदलता दौर °°°°°°°°°°°°°°°° अस्त बड़ा है, व्यस्त बड़ा है, जीवन का आधार। बिखरा-सा है, भटका-सा है, मानव धर्म महान। दानव-सा है, न मानव-सा है, हर एक का स्वभाव। भिखारी-सा है, शिकारी-सा है, सोच में बदलाव। अकड़ा-सा है, जकड़ा-सा है, ज़हरी ज़हन में अलाव। त्रस्त बड़ा है, भ्रष्ट बड़ा है, मतलबपरस्त समाज। -रेखा "मंजुलाहृदय" #flyhigh #Rekhasharma #august 10th, 2020