#RajasthanDiwas जहाँ के लिए हसता हूआ सा कोई चेहरा हूँ मैं, पर मुझको पता है कहा ठहरा हूँ मैं, हल्की सी जिंदगी मेरी, या कुछ गहरा हूँ मैं, यूँ फाका मस्त रहना आदत है मेरी, या अन्धा और बहरा हूँ मैं। जहाँ के लिए तो हसता हुआ सा कोई चेहरा हूँ मैं। लोग जाने कैसे जी रहे है खामखाँ, कुछ भी नही बस दिखावा सा। कितनी नकली है ये दुनिया कितना नकलीपन है जीने में, बस झूठ के सहारे चल रहा है जिंदगी का काफला , कैसे जीते हैं ये लोग जाने क्या पता, दोगली जिंदगी , बस यही दास्ताँ, मै खुशहाल हू बहुत किसको क्या पता? मुस्कुराहटे मेरी है पर्दा मेरा, मेरा चांदना आयना मेरा?या सिर्फ गहरा अँधेरा हू मै, दर्दौ अन्धो का बसेरा हूँ में, जहा के लिए हसता हूआ सा चेहरा हूँ में। ये हंसी ये शोखिया बेबसी है मेरी, गौर से देखी हो किसी ने आंखे जो कभी, आँसुओ से रहती है हर घड़ी भरी। मगर किसको कहा मेरी पडी, दर्द बेचता हूँ में हंस हंस कर हर कही। मगर लोग देखते हैं वोही जो उनके पास ही नही, पूछता हू मैं खुद से क्या वजूद है मेरा? गर आता है मुझको हर गम को छुपाना तो क्या कुसूर है मेरा? अपनी धुन में जीने की ये आदत है मेरी, या मेरे खुद के झूठ पर पहरा हू में? जहाँ के लिए तो हसता हुआ सा चेहरा हूँ में। - रोहित बैराग ©Rohit Bairag #हसता हुआ सा चेहरा