देखकर उस मिट्टी की काया लागे मोहे मौसम की माया मैं जलूं प्रेम की आग में दिन रात जैसे जले सर्द में अलाव में लकड़ियां साथ परिवर्तन के युग में तलाशत सच्चा प्रेम मन सच जानत पर बात लागे नीम तोहे देखन को मन तरसे तड़पती आत्मा का तू मस्त तोहे का फिकर इस प्रेमी का आश्रु बह रहीं इन आँखन से मन आस लगाए बैठा तोसे राह देखत बीत गए रैना ना जाने कब आयिहैं मोरी मैना आजा के अब नाही होत इंतज़ार दिल चिल्लाए के दीदार दे जा इक बार देखत अम्बर की ओर ढूंढत तोहे आँखियां बिजोर मन भर आयौ जब अम्बर के भी तो वो भी बरसे जोर- जोर। कभी- कभी कविताएं हमारे अंदर के प्रेम को व्यक्त कर देती हैं। #मनकीबातें #अनकहीख़्वाहिशें #येरातें #दिलकीबात #सफरतुम्हारेसाथ #जिंदगी_इन_दिनों #google #abirjackson