हम तुम हम तुम बने एक दूजे के लिए, पर नसीब ने जरा देर से मिलवाया हैं, जब मिले तुझ से तो मानो खामोशी ने, अल्फाजों का तोहफा पाया हैं, जैसे पतझड़ के मौसम में, फूल गुलाब का खिल आया है, तुम कहते हो मेरे आंचल का तुम पर ऐसा सांया है, जैसे तपती दोपहरी में मिली पेड़ की छाया, रूठने पर भी नहीं पूछते हम एक दूजे से, आखिर हम आपके हैं कौन...? क्या ये प्यार भला कोई किताबों से सीख पाया, तुम बिन अधूरी है मेरी हर नज़्म, और तुम्हारे हर गीत में शामिल मैं। ©Priya Gour हम तुम...💫 #PoetInYou #12april 3:51 #nojotowriters