अफ़सोस, अब वो आज़ाद थी, विचारों से, संस्कारो से.. धर्म से, त्योहारों से.... उसकी नज़र में आजादी insta, fb, पर खुले -खुले कपड़े पहनकर नाच गाने से (अंग प्रदर्शन )से आती है..... एक तरफ औरत.. खुद के लिये hizaab चाहती है.... दूसरी और दूसरों को अंग दर्शन कराना चाहती है..... 😔 आखिर आजादी क्या है और किससे है.... ✍🏼️✍🏼️ ©vishalrjvansh सहमत #असहमत # जो सहमत नहीं है इंस्टा और एफबी पर हिन्दू औरतों का नाच गाना देख सकते हैं...... मुझे मेरे धर्म संस्कृति बहुत प्यारी, जिसका आप लोग मजाक उड़ाते हैं जो आपके अनमोल पलों में से एक है ऐसे पलों को सोशल मीडिया पर शेयर करके आप लोग क्या साबित करना चाहते हैं..... आजाद रहिए विचारों से, ख्यालों से न कि कपड़ो से......