जीना मरना, और इश्क़ मोहब्बत करना, ये सब इंसान के बस में कहां होता है। वो तो रंगमंच की, कठपुतली की तरह है , नचाने वाला तो कोई और ही होता है। ,हां कुछ देर के लिए, मनमर्ज़ी कर लेता है, जागते हुए सपनों में रंग भर लेता है। झूठ की ज़िन्दगी, कुछ पल जी लेता है,लेकिन आख़री निर्णय तो उसी जज का होता है। ©Anuj Ray #वश में कहां होता है'