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बोलो केशव क्यूँ तुमने, विध्वंश की पीड़ा उठाई थी। ब

बोलो केशव क्यूँ तुमने, विध्वंश की पीड़ा उठाई थी। 
बुझानी थी जिस अग्नि को तुम्हे, किसने वो ज्वाला भड़काई थी।

तरसता था जिसके स्नेह को मैं, वो माँ मेरे करीब आई थी।
लिया वचन अपने पुत्रो का, मुझ पर ना उसकी परछाई थी।

माता, गुरु, मित्र ना जाने, किस किस ने पीड़ा उठाई हैं। 
मुझ अकेले कर्ण में, न जाने कितनी बुराई हैं।

बोलो माधव क्यूँ सभी ने, मुझको यूँ ठुकराया हैं। 
जन्म लेते माँ ने त्याग, क्यूँ देह ये जगत में आया हैं। 

- To be continued 
कर्ण वेदना-२

©Nick's_Thoughts ये कहानी है कर्ण की। कर्ण वेदना-2
#Karna #Mahabharat #Life #Hindi
बोलो केशव क्यूँ तुमने, विध्वंश की पीड़ा उठाई थी। 
बुझानी थी जिस अग्नि को तुम्हे, किसने वो ज्वाला भड़काई थी।

तरसता था जिसके स्नेह को मैं, वो माँ मेरे करीब आई थी।
लिया वचन अपने पुत्रो का, मुझ पर ना उसकी परछाई थी।

माता, गुरु, मित्र ना जाने, किस किस ने पीड़ा उठाई हैं। 
मुझ अकेले कर्ण में, न जाने कितनी बुराई हैं।

बोलो माधव क्यूँ सभी ने, मुझको यूँ ठुकराया हैं। 
जन्म लेते माँ ने त्याग, क्यूँ देह ये जगत में आया हैं। 

- To be continued 
कर्ण वेदना-२

©Nick's_Thoughts ये कहानी है कर्ण की। कर्ण वेदना-2
#Karna #Mahabharat #Life #Hindi