सुनो, मेरे पहले प्यार प्रथम प्रेम के अंकुर तुम हो, परिभाषा हो मेरे प्रेम के, आशा का संचार तुम्ही हो, सृजन तुम्ही संचार तुम्ही हो, अधर तुम्ही मुस्कान तुम्ही हो नर्तन दिल मे गान तुम्ही हो, प्रथम प्रेम....... नव बसंत के मुकुल और नव पल्लव तुम हो मेरे प्यार के, निविड़ अन्धेरे में प्रकाश तुम तृप्ति हो तुम मेरे प्यास के, सुनो तुम्ही हो सरबस मेरे, मम जीवन के परम आस हो।। प्रथम प्रेम.......... ©गोपालचंद्र शुक्ल #पहला_प्यार #कला #विचार #आशा