तुम बिन अब खुश रहते हैं बहुत दिनों से कोई हिचकी नहीं आई , तबीयत तो ठीक है तुम्हारी रुसवाई. ऐसे अब हम भी तुम्हें कहां याद करते हैं , पुराने घाव हैं भरते भरते ही भरते हैं.. हाथ में कलम लिए सोच रहा था , दूर यादों में नजर आई एक परछाई .. लिखते लिखते अब कागज भीगते नहीं है समझ लो,' तुम बिन अब खुश रहते हैं" तुम बिन अब खुश रहते हैं