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White सौंधी सी खुशबू, मीठी सी बातें ! आंचल में खु

White सौंधी सी खुशबू, मीठी सी बातें ! 
आंचल में खुशियां थी खिलती जहाँ पे !
 सहिष्णुता की परिभाषा वह हर्षिता 
लौट आता हूं फिर मैं जहाँ पे !

था कार्तिक माह, अष्टसप्तति संवत् 
मेरा जीवन था बड़ा ही विदम्बत
 जब हृदयचक्षु से देखा उसको
 ये हृदय वही था अवसंवत ..

वह नैन नक्श की माया सी
 मैं उसके मोह में दास सा हूं
 वह श्रीकृष्ण की गाय सी थी
 मैं चरवाहे की 'घास' सा हूं

हूँ बिना छुए उसे प्रेम में मैं 
उस सम्मोहन ने साधा है
 वह प्रेम काम में शामिल हैं, 
मेरी प्रेम-काम ही बाधा है

एक दिन उसको बतलाना है,
 क्या रत्न सा उसने खोया है
 पर सत्य प्रिय एक बात ही है
 यह हृदय बहुत ही रोया है
 यह हृदय बहुत ही रोया है

©Mahi Dixit
  हर्षिता
mahidixit9308

Mahi Dixit

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हर्षिता #शायरी

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