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आज भी तेरे लिए हम यार बैठे हैं। तेरी चाहत में गिरफ

 आज भी तेरे लिए हम यार बैठे हैं।
तेरी चाहत में गिरफ़्तार बैठे हैं।
कोई डर नहीं है ज़ुल्मों के दौर का-
हर ज़ख्म के लिए हम तैयार बैठे हैं।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
 आज भी तेरे लिए हम यार बैठे हैं।
तेरी चाहत में गिरफ़्तार बैठे हैं।
कोई डर नहीं है ज़ुल्मों के दौर का-
हर ज़ख्म के लिए हम तैयार बैठे हैं।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय